Monday, 23 February 2015

दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दोनों जहान तेरी मोहब्बत मे हार के
वो जा रहा है कोई शबे-ग़म गुज़ार के 

वीराँ है मयकदः[1] ख़ुमो-सागर[2] उदास हैं
तुम क्या गये कि रूठ गए दिन बहार के 

इक फ़ुर्सते-गुनाह मिली, वो भी चार दिन
देखें हैं हमने हौसले परवरदिगार[3] के 

दुनिया ने तेरी याद से बेगानः कर दिया
तुम से भी दिलफ़रेब[4] हैं ग़म रोज़गार के 

भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज ’फ़ैज़’
मत पूछ वलवले दिले-नाकर्दःकार[5] के

शब्दार्थ:
1 शराबघर
2 सुराही और जाम
3 ईश्वर, ख़ुदा
4 दिल को धोखा देने वाले
5 अनुभवहीन हृदय

Friday, 20 February 2015

मझधार क्या है

संघर्ष पथ पर चल दिया
फिर सोच और विचार क्या
जो भी मिले स्वीकार है
यह जीत क्या वह हार क्या
संसार है सागर अगर 
इस पार क्या उस पार क्या
पानी जहाँ गहरा वहीँ
गोता लगाना है मुझे
तुम तीर को तरसा करो
मेरे लिए मझधार क्या
आदरणीय Ashok Chakradhar की वाल से उनके पिता की ये कविता

Wednesday, 18 February 2015

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों मैं साहस भरता है,
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है,
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हर नहीं होती।
डुबकियां सिन्धुमें गोताखोर लगता है,
जा जा कर खालीहाथ लौटकर आता है,
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हरबार नहीं होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्षोंका मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जयजयकार नही होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।

Saturday, 14 February 2015

नयी सरकार नयी उम्मीदें - Congratulation Arvind kejriwal


दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने केलिए  अरविन्द केजरीवाल को बधाई | आज उन्होंने औपचारिक शपथ लेकर इसे पूर्ण किया , रामलीला मैदान तमाम ऐतिहासिक घटनाओ का गवाह रहा है और आज फिर से  इतिहास को इसी मैदान में दोहराया , आज अरविन्द केजरीवाल ने  जिस सकारात्मक राजनीती की झलक दिखाई उस से उम्मीदें जगी है उन्होंने सबसे पहले सत्ता के अहंकार से चेताया क्योकि सत्ता या किसी पद के मिल जाने पर अपने आप को  बनायें रखना कठिन होता है |  खेर इसका फैसला भी बक्त करेगा , आज उन्होंने जो सबसे मुख्य  बात कही जो बाकई सकारात्मक राजनीती का पहला कदम है  सबको साथ लेकर चलने की बात | आज उन्होंने अपने साथ बीजेपी के तीन बिधायको को भी अपना ही बताया , उन्होंने अपने बिपक्षी , किरण वेदी , अजय माकन के अनुभवों की  सेवा लेने की बात भी कही और ये बड़ी सकारात्मक  पहल है कोई व्यक्ति देश के किसी संबैधानिक पद पर बैठने के बाद पूरे देश का या प्रदेश का होता है और यह बात अन्य पार्टी और नेताओं को अरविन्द केजरीवाल  से सीखनी चाहिए , अरविन्द केजरीवाल ने जो भाषण आज दिया उसका निचोड़ यही रहा  की वो दिल्ली को बदल देना चाहते और वो भी सबको  साथ लेकर ,सबके अनुभवों को साथ लेकर | उनके अंदर आज मुझे एक ऐसा व्यक्ति नजर आया जो सबकुछ ठीक कर देना चाहता है  मुझे उम्मीद है ये सकारात्मकता आम आदमी पार्टी के प्रसार को और बढ़ाएगी  अंततः आज का दिन ऐतिहासिक और आशाओ भरा रहा , में अरविन्द केजरीवाल , उनके मंत्रिओं , विधायको , दिल्ली की महान जनता को बधाई देता हूँ और उम्मीद करता हूँ नयी सरकार अच्छा काम करेगी , अन्यथा हम तो जनता है "गड़बड़ हुई तो फिर से कोई और सरकार"

निशांत यादव 

Friday, 13 February 2015

Love in Inbox – #इनबॉक्स_लव – 5


कितने बेदर्द हो गए हैं तुम्हारी यादों के फ़ूल ,ये काँटों से मेरा रास्ता रोकते हैं 
अपने हाथ में तुम्हारे हाथ के होने एहसास आया ही था कि एक कांटा मेरी कल्पनाओ को चीरता हुआ निकल गया 
शायद तुमने यादों पे काँटों का पहरा दे रखा है 
लेकिन सुनो तुमने जो फूल मुझे दिया था मेने उसकी मुरझाती पत्तियों को डायरी के पन्नों में अब भी जिन्दा रखा है बिल्कुल तुम्हारी यादों की तरह और पता है तुम्हे ,
मेने उस पन्ने को नाम दिया है मेरे एहसासों का पन्ना
कभी इन पन्नों जो पढ़ना चाहो तो अपने इनबॉक्स में जरूर देखना मेने इस पन्ने का पता भेजा हैं
# लव इन इनबॉक्स


Thursday, 12 February 2015

Love in Inbox – #इनबॉक्स_लव – 4


# लव इन इनबॉक्स (एक छोटा सा  प्रयास लप्रेक - फ़ेसबुक फ़िक्शन श्रृंखला​ और Sujit Kumar​ से प्रेरित होकर ये इस श्रंखला की चौथी और मेरी पहली रचना )
अन्य रचनाएँ आप यहाँ पढ़ सकते हैं http://www.sujitkumar.in/love-in-inbox-3/

सुनो इधर आओ ,
हाँ  कहो ,
अरे इधर तो आओ हाँ बताओ न ,
देखो इनबॉक्स में एक मेसेज अन रीड है
क्यों रीड क्यों नहीं किया ?
कब का है ?
जब हम पहली बार मिले थे मैं ऑफिस  में था और तुमने मेल किया था , अभी के अभी मिलो | तब अभी तरह वाट्स एप्प कहा था और तुम्हारे मेसेज के ३ घंटे बाद पंहुचा था मैं
तो  तुम तो आज भी बैसे ही हो ,फेसबुक चैट ऑफ करके रखते हो और वाट्स एप्प पे लिखा  है नो डिस्टर्ब प्लीज ,
हाँ पर ये तुम्हारे लिए तो है
मतलब ?
मतबल ये की सिर्फ तुमसे बात ,
झूठे !
अच्छा ये बताओ जब ये सालो पुराना मेल अब तक  अन रीड है तो फिर तुमने मेरे बुलाने की खवर को जाना कैसे ?
देखो तुम्हे पकड़ लिया झूठे !

Thursday, 5 February 2015

प्रेम समर है कठिन रे साथी

प्रियतम प्रेम राग न छेड़ो
मैं  विरह से भरा हुआ हूँ
वादो के  इस भंबरजाल में
नाउम्मीदी से घिरा  हुआ हूँ
प्रेम तत्व है जोड़ने वाला
मैं  इससे अब टूट चुका हूँ
बेमानी है कस्मे वादे
मैं  इनसे ही लुटा हुआ हूँ
में हूँ प्रेम का ऐसा पंछी
जिसकी रही उड़ान अधूरी
मेरे पंख थके समर में
नव पल्लव कहा से लाऊँ
प्रेम समर है कठिन रे साथी
मैं  हारा हूँ इसी समर में ....


निशांत यादव