Friday, 20 February 2015

मझधार क्या है

संघर्ष पथ पर चल दिया
फिर सोच और विचार क्या
जो भी मिले स्वीकार है
यह जीत क्या वह हार क्या
संसार है सागर अगर 
इस पार क्या उस पार क्या
पानी जहाँ गहरा वहीँ
गोता लगाना है मुझे
तुम तीर को तरसा करो
मेरे लिए मझधार क्या
आदरणीय Ashok Chakradhar की वाल से उनके पिता की ये कविता

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