तुम्हे याद है वो आखिरी बार मिलना
तुम्हारी आँखों से झरते आंसू
मेज पे टपक कर मेरे आंसू से जा मिले थे
और मैंने कांपते हाथो से तुम्हे अलविदा कहा था
तुम्हारे जाने के बाद घंटो तुम्हे रोकने का जतन सोचता रहा
रुकना तो तुम भी चाहते थे
आज तुम फिर मिले हो उसी मेज पर
फ़र्क़ ये है न आज आंसू है न कांपते हाथ
न बैचेनी है न चेहरे पर शिकन हैं
बस गुजरे वक्त की कहानी है
और ..... तुम्हारी बातों में बेफिक्री है
मेरे हाथो की तरफ देखो
ये तुम्हारे हाथो को छूने को कहते हैं
तुम्हे रोक लेने को कहते हैं
और मैं फिर से कोई बहाना ढूढ़ रहा हूँ
...............निशान्त
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