Sunday, 7 June 2015

मैं हूँ बादल आवारा




तुम चाँद से हो बाबस्ता                      
मैं चांदनी का  हूँ दीवाना

तुम रोशन हो शम्मा की तरह
मैं शम्मा का हूँ परवाना

तुम आसमां हो सितारों से जड़ा
मैं हूँ बादल आवारा

तुम बारिश की ठंडी फुहार हो
मैं मदमस्त हवा का झोका हूँ

तुम तेज नदी की धारा सी
मैं उस नदी का साहिल हूँ

तुम झील हो मीठे पानी की
मैं सागर खारे पानी का

है साथ तुम्हारा है भी नहीं
जैसे दो  समतल रेखाओ सा

तुम पार लगाती नैया हो
मैं उस नैया का माझी हूँ

तुम चाँद से हो बाबस्ता
मैं चांदनी का  हूँ दीवाना .....

....निशान्त यादव

4 comments:

  1. बेहतरीन निशान्त जी। बहुत खूब।

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  2. आप अपनी ऐसी सुंदर कल्पनाओ का प्रदर्शन शब्दनगरी पर भी कर सकते है ....
    हमे आपके ऐसे सुंदर लेखो का इंतज़ार है ... - www.shabdanagari.in

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  3. बहुत खूब।

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