Wednesday, 10 June 2015

अच्छी सरकार / नवीन सागर


मैने कभी नवीन सागर का नाम नहीं सुना , वे क्या थे क्या नहीं ये सब मैने दखल प्रकाशन के फेसबुक वॉल पर उनकी चर्चा के बाद जाना , यहाँ उनकी एक कविता  पढ़ी जिसने मेरा घर जलाया /उसे इतना बड़ा घरदेना / कि बाहर निकलने को चले पर निकल न पाये ,  मुझे इन शब्दों में  गजब का आकर्षण लगा और फिर   गूगल पर खोजा तो उनकी और भी कवितायेँ मुझे मिली , इन कविताओं को पढ़ कर मुझे अफ़सोस भी हुआ और हैरत भी की आखिर ऐसा लेखक मेरे और लोगो के जेहन में क्यों नहीं है मैं नवीन सागर को कवि पाश , अदम गोंडवी के  समानांतर देखता हूँ , आप सब से उनकी एक कविता "अच्‍छी सरकार" शेयर कर रहा हूँ यदि कोई और अधिक कविता पढ़ना चाहे तो कविताकोश पर पढ़ सकता है 

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यह बहुत अच्‍छी सरकार है
इसके एक हाथ में सितार दूसरे में हथियार है
सितार बजाने और हथियार चलाने की
तजुर्बेकार है

इसका निशाना अचूक है
कानून की एडियों वाले जूते पहनकर
सड़क पर निशाना साधे खड़ी है
उसी सड़क से होकर मुझे
एक हत्‍या की गवाही के लिए जाना है

मुझसे पहले
दरवाजा खोलकर मेरा इरादा
बाहर निकला
तुरन्‍त गोली से मर कर गिरा

मैंने दरवाजे से झॉंक कर कहा
मुझे नहीं पता यह किस का इरादा रहा
इस तरह
मैं एक अच्‍छा नागरिक बना
फिर मैंने झूम-झूम कर सितार सुना.


......निशान्त यादव

1 comment:

  1. अति सुन्दर कविता।परिचय करवानें के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया निशान्त जी।

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