Saturday, 30 August 2014

ये पल तुम बिन ...A Part of Life With Out You

ये रात का अँधेरा हमसफ़र बन गया है मेरा                     
अब दिन का उजाला रुसवा है मुझसे 
जो पौधा  सींचा था , तुमने मुरझा सा गया है 
रोज पानी देता हूँ तुम्हारे नाम का इसे 
ये अब भी प्यासा सा है 
फूल की कली जुदा हो गई है उससे 
ये भवंरा अब तनहा हो गया है 

* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * 
देखो ये पौधा अब मुस्कुरा सा रहा है 
तुम्हारे कदमो की आहट है 
या फिर वहम इसका 
कोई खवर है या महज अफवाह तुम्हारी 
मेरे ह्रदय में हलचल सी मची है 
शायद दिन का उजाला ,फिर से मेरा हो गया है 
                                
                                                                     निशांत यादव

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