ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!
माना कठिन डगर है तेरी , तू आगे तो बढ़ !
फूल
नहीं कांटें ही सही ,
तू आगे तो बढ़ !!
देख खड़े है द्रोण ,तू एकलव्य तो बन !
देख खड़े हैं कृष्ण , तू अर्जुन तो बन !!
कठिन डगर यहाँ सत्य की , तू बुद्ध तो बन !
है अहिंसा तेरे द्वारे , तू गांधी तो बन !!
आशा भरी निगाहें देखे ,तू आगे तो बढ़ !
बुला रही है तेरी मंजिल ,तू आगे तो बढ़ !!
देख आसमाँ तुझे निहारे , तू आगे तो बढ़ !
खड़ी है धरती बाहँ पसारे , तू आगे तो बढ़!!
ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!
देख खड़े है द्रोण ,तू एकलव्य तो बन !
देख खड़े हैं कृष्ण , तू अर्जुन तो बन !!
कठिन डगर यहाँ सत्य की , तू बुद्ध तो बन !
है अहिंसा तेरे द्वारे , तू गांधी तो बन !!
आशा भरी निगाहें देखे ,तू आगे तो बढ़ !
बुला रही है तेरी मंजिल ,तू आगे तो बढ़ !!
देख आसमाँ तुझे निहारे , तू आगे तो बढ़ !
खड़ी है धरती बाहँ पसारे , तू आगे तो बढ़!!
ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!
...निशान्त यादव ...
अत्यंत ही प्रेरणास्पद कविता है, अति सुन्दर
ReplyDeleteBahut hi sundar kavita. Prernadaayak
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