Thursday, 21 August 2014

ओ मंजिल के राही .................


ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !                           
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!    

माना कठिन डगर है तेरी , तू  आगे तो बढ़ !  
फूल नहीं कांटें ही सही , तू आगे तो बढ़ !!

 देख खड़े है द्रोण ,तू एकलव्य तो बन !
देख खड़े हैं कृष्ण , तू अर्जुन तो बन !!

कठिन डगर यहाँ सत्य की  , तू बुद्ध तो बन !
है अहिंसा तेरे द्वारे , तू गांधी तो बन !!

आशा भरी निगाहें देखे ,तू आगे तो बढ़ !
बुला रही है तेरी मंजिल ,तू आगे तो बढ़ !!

देख आसमाँ तुझे निहारे , तू आगे तो बढ़ !
खड़ी है धरती बाहँ पसारे , तू आगे तो बढ़!!

ओ मंजिल के राही , तू आगे तो बढ़ !
मंजिल तेरी, सपने तेरे , तू आगे तो बढ़ !!
                                                         
                                                   ...निशान्त यादव ...

2 comments:

  1. अत्यंत ही प्रेरणास्पद कविता है, अति सुन्दर

    ReplyDelete
  2. Bahut hi sundar kavita. Prernadaayak

    ReplyDelete