Wednesday, 2 July 2014

अस्वीकार्य सत्य

तुम्हारा जाना या फिर किसी और का आना सबसे बड़ा सत्य है
लेकिन ये सत्य मुझे स्वीकार नहीं है
मेने सत्य को पूजा है सत्य को जिया है
मेरा बीता हुआ कल या आने वाला कल भी सत्य ही है     
में इस सारे सत्य को नकारता हूँ ,
तुम्हारे मेरे जीवन में होना भी तो एक सच था
आज तुम नहीं , मेरे लिए तुम्हारा न होना ही झूट है
तो फिर में इस सत्य को क्यों स्वीकार करूँ ,
देखो न जव से मेने इस सत्य को अस्वीकार किया है ,
ये जमाना मुझे झूठा कहता है
तुमने मुझसे वादा लिया था की तुम्हारे जाने के बाद में तुम्हे याद रखूँगा
देखो न मेने बही तो किया , लेकिन लोगो ने मुझसे सत्य निष्ठ होने का ताज छीन लिया ,
अब ये जीवन के असत्य के साथ ..................

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