Saturday, 26 July 2014

कारगिल का दर्द

26 जुलाई 1999 आज ही के दिन कारगिल युद्द समाप्त हुआ, भारतीय सेना की विजय हुई, हमारे जवान भी शहीद हुए, सेना के जवानों ने अपनी जिंदगी को खो कर कर इस देश को सुरक्षित रखा , इसे किसी मोके पर हम अपने  सैनिको के बहादुरी के किस्से बड़े गर्व से कहते है  , इन सब सुखद पहलुओ के अलावा कुछ ऐसा भी है जो दुखद है  
जो आपके जिगर का टुकड़ा हो और वो इक दिन चला जाए तो जिंदगी कितनी कठिन और अधूरी हो जाती है इसका अहसास ही रोंगटे खड़े कर देता , और अगर इस सब के बाबजूद कोई अपने आप को इस दुःख से निकाल भी ले तो फिर सियासत , और समाज की उपेक्षा जीने नहीं देती है तब आता है की मेरा बेटा ही क्यूँ देश के लिए लड़ें .. 

कारगिल में शहीद हुए तमाम जवानों और अफसरों के परिवार बाले उनके शहीद होने के बाद सरकार से मिली सुविधाओं के लिए  अपनी ही सरकार के सिस्टम से लड़ें . केप्टन अनुज नायर के पिता को पेट्रोल पम्प मिला और उसे लेने के लिए उन्हें कितने बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ा , ये कोई उनसे जाके पूछे तब आपको अपने इस देश और सिस्टम से नफरत हो जाएगी , केप्टन अनुज नायर के पिता ही नहीं न जाने कितने जवानों को अपने हक के लिए लड़ना पड़ा , और कुछ तो अब भी लड़ रहे है केप्टन अनुज नायर के पिता को मेने IBN के जिंदगी लाइव प्रोग्राम में देखा उनके आँखों से बहते आंसू देखा कर मुझे इस सिस्टम से नफरत हो गई , उनके आंसू बेटे के शहीद होने के नहीं थे , वल्कि उसके बाद इस सिस्टम के लोगो ने उनके साथ जो व्यव्हार किया उसके आंसू ज्यादा थे यदि आप देखना चाहे तो यहाँ देखे
   

आज ही मेने NDTV  पे देखा की मेजर डीपी सिंह तो आज तक अपने हक के लिए लड़ रहे है , उनके विडियो को देखा http://khabar.ndtv.com/video/show/news/331393, उनकी आवाज में दर्द के साथ साथ इक चेतावनी भी है की हमें सुधारना होगा वर्ना देश के युवाओं में निराशा का माहौल हो जायेगा
आज जिस तरीके से सेना में अफसरों की भारी कमी वो कभी पूरी नहीं होगी ,

हमें और ख़ास तौर से इस सिस्टम को चलाने वाले लोगो  समझना होगा कि यदि हम अपने सैनिको , जवानों के साथ ऐसा व्यबहार करेंगे तो , हम अपने देश के नवयुवको में देश सेवा का के लिए केसे प्रेरित कर पायंगे ,

इसी दर्द से निकली कुछ पक्तियां कह रहा हूँ

सरहदे खिची शमशीरें तनी                                                    
बंदूकें चली लहू वहा
मुझे क्या मिला
किसी अपने का लहू
उसकी छोड़ी हुई निशानी
और हाँ
कुछ चंद सिक्के सियासतदानों के ,

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जो जिन्दा रहा उसे जिंदगी ने तोडा
जिंदगी से जीता तो  अपने हक़ को लड़ा
हक़ न मिला अफसोस हुआ जिन्दा होने पे ,
काश में भी शहीद होता ..

निशांत यादव 



Friday, 25 July 2014

तेरा अहसास , मेरे शब्द और तन्हाई

तेरी दूरी से बनी तन्हाई से दूर गया                                  

कुछ सुकून की तलाश में
भीड़ में ढूंढा उसे  मिला ही नहीं
कुछ शब्दों से भरे अहसास ले गया
वो भी लुटा आया भीड़ में
अब लौटा हूँ  एक सच के साथ
तेरा अहसास , मेरे शब्द और तन्हाई
ये ही हमसफ़र है मेरे

                                                 

निशांत यादव 

Friday, 4 July 2014

सागर से दूर एक सूखी नदी

ऐ हवाओं जरा ठहरो
मैं  भी आता हूँ

तुम लायी हो ठन्डे झोके                                                           
मैं  भी एक गीत गाता हूँ

तुम लाये हो सावन का मौसम  
मैं  भी एक मल्हार गाता हूँ

तुमने भेजे हैं बूदों के मोती 
मैं  भी एक माला पिरोता हूँ 

ऐ हवाओं जरा ठहरो

मैं  भी आता हूँ
तुम आई हो सागर से मिलके 
आओ मैं  भी तुम्हे अपनी नदी से मिलाता हूँ

लौट कर जाओ तो सागर से कहना
ये नदी अब सूखी है

लौट कर जाओ तो सागर से कहना
ये नदी तुम्हारे मिलन को तरसती है

लौट कर आओ तो कुछ बुँदे ले आना
ये नदी बिन आँसुओं के रोती है 

ऐ हवाओं जरा ठहरो
मैं  भी आता हूँ

ये जो लिखा है कुछ अधूरा सा है
शायद पेड़ों का दर्द और पंछिओं कि प्यास अभी बाकि है
                                                                                     
.....(निशांत यादव )


Wednesday, 2 July 2014

अस्वीकार्य सत्य

तुम्हारा जाना या फिर किसी और का आना सबसे बड़ा सत्य है
लेकिन ये सत्य मुझे स्वीकार नहीं है
मेने सत्य को पूजा है सत्य को जिया है
मेरा बीता हुआ कल या आने वाला कल भी सत्य ही है     
में इस सारे सत्य को नकारता हूँ ,
तुम्हारे मेरे जीवन में होना भी तो एक सच था
आज तुम नहीं , मेरे लिए तुम्हारा न होना ही झूट है
तो फिर में इस सत्य को क्यों स्वीकार करूँ ,
देखो न जव से मेने इस सत्य को अस्वीकार किया है ,
ये जमाना मुझे झूठा कहता है
तुमने मुझसे वादा लिया था की तुम्हारे जाने के बाद में तुम्हे याद रखूँगा
देखो न मेने बही तो किया , लेकिन लोगो ने मुझसे सत्य निष्ठ होने का ताज छीन लिया ,
अब ये जीवन के असत्य के साथ ..................