मेरे एहसासों का पन्ना -निशान्त यादव
मन की बात को यहाँ जिल्द करता हूँ
Friday, 25 July 2014
तेरा अहसास , मेरे शब्द और तन्हाई
तेरी दूरी से बनी तन्हाई से दूर गया
कुछ सुकून की तलाश में
भीड़ में ढूंढा उसे मिला ही नहीं
कुछ शब्दों से भरे अहसास ले गया
वो भी लुटा आया भीड़ में
अब लौटा हूँ एक सच के साथ
तेरा अहसास
,
मेरे शब्द और तन्हाई
ये ही हमसफ़र है मेरे
निशांत यादव
1 comment:
Unknown
20 August 2014 at 16:24
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