ये जो पैरो के निशां तुमने छोड़े हैं
ढूढ़ते तुम्हे इनपे चल के आया हूँ
ये जो छोड़ी है
तुमने हर निशानी अपनी
पता तुम्हारा हर निशानी से पूछता आया हूँ
हंसी मिली तुम्हारी ,
मौन थी , बोली ..
तुम उसे छोड़ आये हो
कुछ पग चिन्ह और नापे
ये मौन की तरफ थे
यहाँ तुम्हारे कदमो आहट है
सफर ऐ जिंदगी कठिन है
असंभब तो नहीं
लौट आओ इस सफर से
हसीं तुम्हारे मिलन को रोती है
ये जो पैरो के निशां तुमने छोड़े हैं......
(निशान्त यादव )
ढूढ़ते तुम्हे इनपे चल के आया हूँ
ये जो छोड़ी है
तुमने हर निशानी अपनी
पता तुम्हारा हर निशानी से पूछता आया हूँ
हंसी मिली तुम्हारी ,
मौन थी , बोली ..
तुम उसे छोड़ आये हो
कुछ पग चिन्ह और नापे
ये मौन की तरफ थे
यहाँ तुम्हारे कदमो आहट है
सफर ऐ जिंदगी कठिन है
असंभब तो नहीं
लौट आओ इस सफर से
हसीं तुम्हारे मिलन को रोती है
ये जो पैरो के निशां तुमने छोड़े हैं......
(निशान्त यादव )
वाह
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