मेरे एहसासों का पन्ना -निशान्त यादव
मन की बात को यहाँ जिल्द करता हूँ
Sunday, 1 June 2014
ये जो बादल तेरी यादों के घुमड़ते हैं !
ये जो बादल तेरी यादों के घुमड़ते हैं !
बरसते ही नहीं !
जब ये गरजते हैं
!
तो टकटकी लगा लेता हूँ
बस कुछ बूंदो के इंतजार में !
देख ये अब फिर घुमड़े हैं !
पूछा तो बोले !
बूंदे तेरी कैद में हैं !
......(निशान्त यादव )
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