एक बेहतर मुल्क़ उसके नागरिकों की प्रगति से ही बनता है देश मे आज भी सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ जिंदा हैं इन्हीं विषमताओं के आधार पर अधिकारों के हनन भी बदस्तूर हैं वैसे तो हर दिन हमें इस बात विचार करना चाहिए , लेकिन आज का दिन ऐसा जिस दिन हम सब एक साथ इस पर्व को मानतें हैं तो एकसाथ मुल्क की बेहतरी के लिए विचार भी करें , मुल्क के संसाधनों पर सिर्फ शक्तिशाली का अधिकार न हो, सबको समान न्याय व्यवस्था मिले , इन सब के लिये एक नागरिक के तौर पर हम सब को सजग रहना होगा, शोषित और अन्यायकारी व्यवस्था और शक्तियों को एक दिन खत्म ही होना है ये उदहारण हम अपनी आजादी से लेकर और मुल्कों में हुई आजादी की क्रांतियों से ले सकते हैं
अंतत आजाद रहिये, दूसरे की आजादी के लिए भी लड़िये,
आजादी का ये सत्तरवां साल सबको मुबारक !
जय हिंद !
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