Tuesday, 15 August 2017

आजादी का ये सत्तरवां साल


यूँ तो हमारे मुल्क की पैदाइश हजारों साल पुरानी है धार्मिक , सांस्कृतिक और आर्थिक तौर पर हम साझी विरासत के मालिक हैं रियासतों, रजबाड़ों, सल्तनतों में बँटा हुआ ये मुल्क 15 अगस्त 1947 में आजादी की एक लम्बी लड़ाई और त्रासद बंटबारे के बाद एक झंडे की नीचे एकजुट हुआ, हमने 26 जनवरी 1950 में अपना सविंधान बना खुद को एक लोकतांत्रिक , धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में स्थापित किया, हम इतनी भाषाओं, बोलिओं, धर्मों , पंथों के बाबजूद एक झंडे के तले एकजुट होकर इस मुल्क को हरदिन प्रगतिशील बनाने के प्रयास में सतत भागीदारी निभा रहे हैं इतनी बेहतर संबैधानिक व्यवस्था के बाबजूद आज भी कई मुद्दे ऐसे हैं जिनका समाधान बाकी है
एक बेहतर मुल्क़ उसके नागरिकों की प्रगति से ही बनता है देश मे आज भी सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ जिंदा हैं इन्हीं विषमताओं के आधार पर अधिकारों के हनन भी बदस्तूर हैं वैसे तो हर दिन हमें इस बात विचार करना चाहिए , लेकिन आज का दिन ऐसा जिस दिन हम सब एक साथ इस पर्व को मानतें हैं तो एकसाथ मुल्क की बेहतरी के लिए विचार भी करें , मुल्क के संसाधनों पर सिर्फ शक्तिशाली का अधिकार न हो, सबको समान न्याय व्यवस्था मिले , इन सब के लिये एक नागरिक के तौर पर हम सब को सजग रहना होगा, शोषित और अन्यायकारी व्यवस्था और शक्तियों को एक दिन खत्म ही होना है ये उदहारण हम अपनी आजादी से लेकर और मुल्कों में हुई आजादी की क्रांतियों से ले सकते हैं
अंतत आजाद रहिये, दूसरे की आजादी के लिए भी लड़िये,
आजादी का ये सत्तरवां साल सबको मुबारक !
जय हिंद !

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