Tuesday, 13 June 2017

ख़ामख़ा कोई यूँ ही नहीं मिलता है




ख़ामख़ा कोई यूँ ही नहीं मिलता है
जिंदगी का सफर यूँ तन्हा नही कटता है

मैं तमाम किस्से कैद किये बैठा हूँ
ये स्याह रातें एक पल में नही कटती

तुम बेहतर हो जमाने से बेफिक्र
मैं ही तमाम फ़िक्र लिए बैठा हूँ

-निशान्त

No comments:

Post a Comment