लालकिले के प्राचीर से देश के प्रधानमंत्रियों का चुनावी भाषण मुझे आजतक समझ नहीं आया , अपनी अपनी बनाई योजनाएं बताने लगते है करें भी क्या गांठ में है ही इतना, गुलाम भी हम खुद हुए और आजाद भी खुद ही हुये, हाँ आजादी के बाद इतना तो जरूर हुआ की हम एक हो गए, लेकिन उस एकता के बंडल को कोई तोड़ देना चाहता है तो कोई इस बंडल से खुद ही अलग होना चाहता है
हमनें अपना संविधान बनाया, जिसने हमें हमारे अधिकार दिए, लेकिन इस सब के बाबजूद हम आज भी सिस्टम से लड़ रहे है सामाजिक समस्याओं से लड़ाई जारी है जाति, धर्म , आर्थिक, लैंगिंग , जमीन ,जल , जंगल की लड़ाई तो अब भी चल रही है
लेकिन इस सब बाद भी ये दिन हमें एकता का एहसास करा देता है एक झंडे के तले खड़े होकर कम से कम हम एक साथ होते है जरूरत है इस भावना को हमेशा साथ रखने की । सत्तर साला आजादी तक आते आते हमनें कई मुकाम हासिल किये है और भी आगे करते रहेंगे, लेकिन साथ साथ हमें ऐसा समाज और विचार व्यबस्था विकसित करनी होगी, जहाँ लोग एक दूसरे को सुने और समझे , एक दूसरे पीड़ा को समझे , उनकी मज़बूरी का इस्तेमाल न करें , एक दूसरे के लिए जियें , देश का आर्थिक और सामरिक विकास अपनी जगह है सामाजिक विकास का क्या हो , इसके बिना सभी विकास बेमानी है आजादी साल दर साल उम्रदराज होती जा रही है और उसके नायकों के विचार सिर्फ अब नारों में बचें हैं और नारे भी खोखले हैं इस लिए कोशिश कीजिये ये आजादी हमसे बिसरे नहीं है जब मिली है तो देश के अंतिम आदमी तक को मिले तब इस जश्न का असली आनंद होगा है
आप सब को ये 70वीं आजादी मुबारक
जय हिंद !!!
No comments:
Post a Comment