Monday, 30 May 2016

तेज हवा का अंधड़ आया





तेज हवा का अंधड़ आया 
धूल का गुबार भी लाया 
साथ थोड़ी उलझन भी लाया
जो सड़कों पर थे भागे 
जो घरों में थे वो भी भागे 
सड़क वालो ने मुँह छुपाया
घर वालों ने बिजली वालों को गरियाया
खम्बे गिरे, झंफर टूटे 
दवे पांव बिजली भी भागी
झट से अँधेरा मैरे कमरे में घुस आया
एक बच्चा जोर से चिल्लाया मेह आया
ठंडी हवा के झोंके, बारिश की बूँदे
बिजली की कड़कड़ 
छत पे पड़ी टीन की धड़धड़
ये कुछ पल का मंजर 
बहुत सारी यादों को समेट लाया
बहुत दिनों से कुछ लिख नहीं पाया
बस ऐसे ही आँखों देखा हाल सुनाया

Monday, 23 May 2016

आदमी आदमी को क्या देगा / सुदर्शन फ़ाकिर




आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वही ख़ुदा देगा

मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिब है
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा

ज़िन्दगी को क़रीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा

हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा

इश्क़ का ज़हर पी लिया "फ़ाकिर"
अब मसीहा भी क्या दवा देगा

Saturday, 7 May 2016

चुपचाप उसको बैठ के देखूँ तमाम रात /बशीर बद्र (उजालों की परियाँ )




चुपचाप उसको बैठ के देखूँ तमाम रात 
जागा हुआ भी हो कोई सोया हुआ भी हो
उसके लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएँ कीं 
मेरी तरह से कोई उसे चाहता भी हो
इतनी सियाह रात में किसको सदाएँ दूँ
ऐसा चिराग़ दे जो कभी बोलता भी हो

                                                                          ---- बशीर बद्र (उजालों की परियाँ )