मेरे एहसासों का पन्ना -निशान्त यादव
मन की बात को यहाँ जिल्द करता हूँ
Saturday, 7 May 2016
चुपचाप उसको बैठ के देखूँ तमाम रात /बशीर बद्र (उजालों की परियाँ )
चुपचाप उसको बैठ के देखूँ तमाम रात
जागा हुआ भी हो कोई सोया हुआ भी हो
उसके लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएँ कीं
मेरी तरह से कोई उसे चाहता भी हो
इतनी सियाह रात में किसको सदाएँ दूँ
ऐसा चिराग़ दे जो कभी बोलता भी हो
---- बशीर बद्र (उजालों की परियाँ )
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