Monday, 19 October 2015

भात की पीर ..

आज दाल भात खाने का  बड़ा मन था अच्छे वाले चावल लिए , मुझे लगा दाल तो शायद रखी है देखा तो दाल थी ही नहीं  | नीचे बनिए की दुकान पर गया दाल के रेट  सुने , सुनते है मन ये भाव आगये , देखिये  दाल भात की कहानी , अच्छे लगे तो खवर दे ..


दाल दाल सब करें  
पीर भात की जाने ना कोई
रुपया बैरी होय गया 
प्रीत भात की समझे ना कोई
देख भात की पीर 
मेरा दिल टूटा  टूटा  जाय 
लपछप उतरा बनिये से बोला
लाला तनिक दाल देओ दिखाय 
लाला आँखे फाडे देखे 
बोला  ! लगते हो अमीर भाय 
हमने भी मन ही मन मुस्काय 
मुंडी दई हलाय 
लाला बोला दौ सौ की है 
तोलूं या फिर नाय
हम भी ठिठके गणित लगाया 
फिर भात का चेहरा याद आया 
पाव भर दाल को पन्नी में करवाया 
चौके में भात मुस्काया 
हमारे दिल को सुकून आया 
सुनो रे बंधू ! सखा सुनो रे 
दिल न दुखाना भात यार का 
तुम्हे कसम दाल की 



                                              दाल भात प्रेमी  ..
                                                                   निशान्त यादव 

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