अगर आप देश के नेताओं और उनके भाड़े के टट्टुओं के उन्मादी नारो और भाषणो से , देश की मीडिया के कुछ टी. आर. पी लोलुप चैनल के हिसाब से अपने पड़ोस के किसी मुस्लिम , जैन , सिख या ईसाई परिवार के प्रति प्रेम या नफरत के भाव लाते है । तब आपको थोड़ा सावधान और समझदार होने की जरुरत है जो लोग पहले गोकशी का विरोध छाती पीट पीट कर करते थे आज वही बहादुर , गाय के रखवाले अपनी राजनीती चमकाने के लिए खुलेआम जैनो के सामने बीफ बेच रहे है ये काम अगर मुस्लिमो ने कर दिया होता तब हम अपनी नफरते लेकर उनके विरोध पहुंच गए होते । जब कुछ भी खाना या न खाना हमारा अपना अधिकार तब हम एक पक्ष को लेकर इतने सतही क्यों है।
सतर्क और समझदार हो जाइये ये राजनीती आपके और हमारे सदिओं पुराने रिश्तो की जड़ो में मट्ठा डाल रही है जरा सोचिये हमने और आपने गाय के लिए क्या किया । जब देशी गाय ने दूध देना कम कर दिया या फिर बीमारी के कारन बाँझ हो गई हमने उसे अपने घर के खूंटे से खोल कर उस खूंटे पर अफ्रीकन ब्रीड की ज्यादा दूध देने वाली गाय नुमा भेंस को बांध लिया और खुली हुई गाय यहाँ शहर में कच्चा खा खा कर मर रही है
आप जरा सोचिये उपभोक्तावाद के इस संसार मे आप कितने प्राकृतिक बचे । जरा भी नहीं हमें कॉर्न फ्लेक्स चाहिए , ओनियन चाहिए , सब्जी चाहिए , लेकिन अपना बेटा किसान नहीं चाहिए । किसान खुद अपने बेटे से खेती करवाना नहीं चाहता । कारण साफ है देश जितना इन्वेस्टमेंट अन्य व्यवसाय मे हुआ , जितनी नयी सोच के लोग अन्य व्यवसाय में आये उतने लोगो ने कृषि मे आना मुनासिव नहीं समझा । जब किसान का कोई मुद्दा आता । जब गाय का कोई मुद्दा आता है हम इन राजनैतिक ठगो के साथ खड़े होते । लेकिन जब उन्माद खत्म होता तब सब चेतना खत्म हो जाती है क्या कोई पूछता है देश का किसान किस हालत मे हैं क्या कोई पूछता है की गाय किस हालत मे है आज देश के अंदर कितने पशु चिकित्सालय सही ढंग से काम कर रहे है और उनका स्तर क्या है किसी को खवर नहीं । इस लिए हमें देश की मूल समस्याओं पर लड़ना होगा । देश की राजनीती चाहती ही यही है की देश की जनता दंगे , जातिवाद , नफरत मे उलझी रहे । हमें इसी धुर्वीकरण के आधार पर वोट देती रहे और हम देश की संसद मे मौज मारते रहें !
इसलिए संभल जाइये ! देश मे शिक्षा , वैज्ञानिकता और सदभाव से प्रगति और उन्नति आएगी , धर्मान्धता , आपसी लड़ाई और द्वेष से नहीं ...
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