Sunday, 12 April 2015

Love in Inbox – #इनबॉक्स_लव – 6

                                                      चित्र साभार ... www.sujitkumar.in


..सुनो गूगल हैंग आउट इंस्टॉल कर लो सही है
क्यों फेसबुक मेसेंजर है तो सही ?
..अरे नहीं अब ये डिस्टर्ब करता है ये हर टाइम मुझे ऑनलाइन दिखाता है कल बुआ का फ़ोन आया था बड़ी फेस बुक चलाती हो
क्या तुम्हारी बुआ भी फेसबुक चलाती है अरे नहीं कल रात 12 बजे बुआ का लड़का ऑनलाइन था बुआ भी उधर ही थीं ?
..अच्छा तो हैंग आउट से क्या होगा
अरे यार इतना भी नहीं जानते इधर कोई नहीं होता
..हा ये तो सही कहा तुमने ठीक है करता हूँ
क्या यार प्यार में टाँग अड़ाने बाले इधर भी आ ही गए सोचा था इंटरनेट के सहारे मोह्हबत में कोई रुकबट नहीं होगी पर इधर भी...
..अरे छोड़ो यार क्यों सीरियस होते हो
कह तो दिया डाल लूंगा हैंग आउट
..आजकल तुम बड़े चिढ़ चिड़े हो गए हो पहले तो नहीं थे ऐसे
अरे यार प्लीज ये टिपिकल हिंदी फ़िल्म डाइलोग मत मारो आई ऍम गोइंग टू स्लीप नाउ
ओके बाय गुड नाईट लव यू
..बस लव यू
हाँ  आज इतना ही
बाय ....
अगली दुपहर लंच टाइम
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हाय  !
नाउ आई ऍम ओन हैंग आउट
या गुड सो नाउ वी कैन चेट विथआउट एनी  डिस्टर्बेंस
ह्म्म्म्म
..सुनो 7 बजे राजीब चौक मिलना
ओके कहाँ मिलोगे
..बहीं जहाँ रोज मिलते है स्टैर्स बाली रेलिंग के पास
ओके ठीक है
..नाउ टाइम टू गो फॉर मीटिंग
किसकी मीटिंग है ?
..एक डील है फाइनल हो गई तो लाइफ बन जायेगी
 यार मुझे कभी कभी तुम्हारे ये डील से डर लगता है
 कहीं इन डील के चक्कर में मुझे भुला न देना
...यार प्लीज नॉट अगैन
ओके बाय चलता हूँ टाइम से आ जाना

शाम 7 बजे ..
* * * * * * * * * * * * * * *
..अरे यार कब से खड़ा हूँ यहाँ तुम हो की आती ही नहीं और ये तुम्हारे फ़ोन को क्या हुआ लगता क्यों नहीं है 
अरे यार सिंगनल नहीं थे शायद आती हूँ  बस दो स्टेशन पीछे हूँ 
..ओके ठीक है जल्दी आओ में यहाँ कब से खड़ा हूँ 
कहाँ खड़े हो ?
..वहीँ जहाँ रोज खड़ा होता है असेक्लेटर के पास जो ग्रिल है उसी से टिका खड़ा हूँ कम से कम १० लोगो रास्ता बता चुका , ये मेट्रो वाले कोई गाइड क्यों नहीं खड़ा करते यहाँ अजनवियों के लिए ..
पीछे से  धप्प  ... 
..एक झप्पी दो पहले 
ओके बाबा  अब चले 
हाँ  चलो !
बो तुम फ़ोन पर क्या कह रहे थे अजनवी ..
..हाँ  वो तमाम अजनवी मुझसे रास्ता पूछ रहे थे 
हाँ हमारी तरह !
मतलब ?
मतलब ये कि हम  भी कभी  इस शहर में अजनवी थे इस शहर और एक दूसरे से ...
चलो एक बार फिर से अजनवी बन जाये हम दोनों
..नहीं कभी नहीं ये गाना और शब्द अजनवी इसे हम दोनों के बीच से दूर फेक दो ...

स्टेशन पर गाड़ी रुकी ...दोनों एक दूसरे को बाय बोलते हुए अपनी राहों में कुछ पल के लिए अजनवी होकर घर की तरफ चले गए , अजनवी बस कुछ पल के लिए हमेशा के लिए  नहीं ....



शेष अगले अंक में ...........

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