हो सके तो थोड़ी ख़ुशी उधार दे जाओ !
तुम्हारे दिए हुए आंसू अब चुभने लगे है !!
हो सके तो इन्हें मेरी आँखों से उधार ले जाओ !!!
खुशनुमा लम्हे जो गुजरे तुम्हारे साथ !
दुःस्वप्न से पीछा करते है हर एक रात !!
कुछ वक्त ही सही मेरी आँखों इन्हें चुरा ले जाओ !!!
तुम्हारे दिए उपहार मेरा उपहास उड़ाते है !
हो सके इन्हे दरिया में बहा आओ !!
कुछ वक्त ही सही मगर मुझे इनसे दूर कर जाओ !!
मेरे अंदर के खालीपन से अपने जाने का बजूद ले जाओ !
हो सके तो मुझे खुद को खुद से भर जाओ !!
कुछ वक्त ही सही तुम फिर से आजाओ !!
...........निशान्त यादव
No comments:
Post a Comment