Friday, 10 April 2015

मेरे दर्द का हिसाब ले जाओ



मेरी माथे की शिकन से मेरे दर्द का हिसाब ले जाओ !

हो सके तो थोड़ी ख़ुशी उधार दे जाओ !
तुम्हारे दिए हुए आंसू अब चुभने लगे है !!
हो सके तो इन्हें मेरी आँखों से उधार ले जाओ !!!

खुशनुमा  लम्हे जो गुजरे तुम्हारे साथ !
दुःस्वप्न से पीछा करते है हर एक रात !!
कुछ वक्त  ही सही मेरी आँखों इन्हें चुरा ले जाओ !!!

तुम्हारे दिए उपहार मेरा उपहास उड़ाते है !
हो सके इन्हे दरिया में बहा आओ !!
कुछ वक्त ही सही मगर मुझे इनसे दूर कर जाओ !!

मेरे अंदर के खालीपन से अपने जाने का बजूद ले जाओ !
हो सके तो मुझे खुद को खुद से भर जाओ !!
कुछ वक्त ही सही तुम फिर से आजाओ !!

...........निशान्त  यादव








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