# लव इन इनबॉक्स (एक छोटा सा प्रयास लप्रेक - फ़ेसबुक फ़िक्शन श्रृंखला और Sujit Kumar से प्रेरित होकर ये इस श्रंखला की चौथी और मेरी पहली रचना )
अन्य रचनाएँ आप यहाँ पढ़ सकते हैं http://www.sujitkumar.in/love-in-inbox-3/
सुनो इधर आओ ,
हाँ कहो ,
अरे इधर तो आओ हाँ बताओ न ,
देखो इनबॉक्स में एक मेसेज अन रीड है
क्यों रीड क्यों नहीं किया ?
कब का है ?
जब हम पहली बार मिले थे मैं ऑफिस में था और तुमने मेल किया था , अभी के अभी मिलो | तब अभी तरह वाट्स एप्प कहा था और तुम्हारे मेसेज के ३ घंटे बाद पंहुचा था मैं
तो तुम तो आज भी बैसे ही हो ,फेसबुक चैट ऑफ करके रखते हो और वाट्स एप्प पे लिखा है नो डिस्टर्ब प्लीज ,
हाँ पर ये तुम्हारे लिए तो है
मतलब ?
मतबल ये की सिर्फ तुमसे बात ,
झूठे !
अच्छा ये बताओ जब ये सालो पुराना मेल अब तक अन रीड है तो फिर तुमने मेरे बुलाने की खवर को जाना कैसे ?
देखो तुम्हे पकड़ लिया झूठे !
ये भी बहुत खूब
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