Wednesday, 24 December 2014

मनाली मत जइयो - अटल बिहारी वाजपेयी


यूँ ही पढ़ते पढ़ते अटल जी एक रुमानियत भरी कविता पढ़ने को मिली , अटल जी अच्छे वक्ता तो है साथ साथ एक अच्छे रुमानियत भरे कवि भी हैं आप भी आनंद लीजिये  इस मनोहारी कविता का ..

मनाली मत जइयो, गोरी 
राजा के राज में।                                                   
                      

जइयो तो जइयो, 
उड़िके मत जइयो, 
अधर में लटकी हौ, 
वायुदूत के जहाज़ में। 

जइयो तो जइयो, 
सन्देसा न पइयो, 
टेलिफोन बिगड़े हैं, 
मिर्धा महाराज में। 

जइयो तो जइयो, 
मशाल ले के जइयो, 
बिजुरी भइ बैरिन 
अंधेरिया रात में। 

जइयो तो जइयो, 
त्रिशूल बांध जइयो, 
मिलेंगे ख़ालिस्तानी, 
राजीव के राज में। 

मनाली तो जइहो। 
सुरग सुख पइहों। 
दुख नीको लागे, मोहे 
राजा के राज में।

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