Friday, 28 November 2014

कुछ नए अंदाज

कुछ नए अंदाज लिखे है उम्मीद है पसंद आएंगे

1:
तुम जो इतने सादा दिखते हो
हो भी हो
या
यूँ ही दिखते हो

2:
ये जितने भी पेच मुझमें दिखाई देते हैं
वो सादगी से उलझने का बयां करते हैं 

3:-
में तो बदनाम हूँ सिर्फ तुम्हारी नजरो में
बाकि सारा जमाना मेरा आशिक है

4:-
पाले बेठा था जो भरम बरसो से
बिखर सा  गया है आज
रंज सिर्फ इतना है
ये कुछ दिन और रहता

5:-
कुछ सवाल अब भी बाकि है जेहन में 
कभी आओ तो ये बोझ उतरे

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