तुम्हारे लिए गीत हूँ लिख रहा !
हर सजर लिख रहा हर पहर लिख रहा !
शब्द गूंथे हैं माला में मैंने यहाँ !
गीत का राग छेड़ा है मैंने यहाँ !
आ भी जाओ, ऐ हमसफ़र मेरे !
ये गीत अब अधूरा तुम्हारे बिना !
शाम की महफिले हैं अधूरी यहाँ !
चाँद की चांदनी है अधूरी यहाँ !
रात के इस अँधेरे में बुझ रही है शमां !
रास्ता भी यहाँ खोया खोया सा है !
आ भी जाओ मुझे रौशनी चाहिए
है सफर ये अधूरा तुम्हारे बिना!
शब्द रूठे हुए नज्म रूठी सी है !
पृष्ठ भीगा हुआ आसुओं से मेरे !
राग बेचैन है सुर भी बिगड़ा हुआ !
गीत है अब असंभव तुम्हारे बिना !
अवतलक क्यूँ कफा हो बताओ जरा !
शख्स बदला है मैंने तुम्हारे लिए !
लौट आने की चाहत में जिन्दा हूँ में !
गीत गाने की चाहत में जिन्दा हूँ में !
गीत है अधूरा अधरों के बिना !
मैं तुम्हारे लिए गीत हूँ लिख रहा !
हर सजर लिख रहा , हर पहर लिख रहा !
......निशांत यादव .....
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