Monday, 2 June 2014

जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ

जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ ,                                                

गिर के फिर से उड़ना चाहता हूँ|
आज जब मुझको लगा मिल गया मेरा मुकाम, 
पर ये फिर से बेबफाई कर गया|

जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ , 
टूट कर फिर से जुड़ना चाहता हूँ|

जिंदगी क्यू इतनी कठिन है 
 इसका जबाब चाहता हूँ ,
पूछता हूँ जब खुदा से बता इसका फ़साना क्या है ,

मुस्कुरा के बस इतना कहता , 
जिंदगी इक रास्ता है ,
डूंड ले अपने मुकाम को ,
रास्ते में तेरा मुकाम  है ,

आज में फिर से चला हूँ 
आज में फिर से खडा हूँ ,
जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ|

निशान्त यादव...........

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