जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ ,
मुस्कुरा के बस इतना कहता ,
आज में फिर से चला हूँ
गिर के फिर से उड़ना चाहता हूँ|
आज जब मुझको लगा मिल गया मेरा मुकाम,
आज जब मुझको लगा मिल गया मेरा मुकाम,
पर ये फिर से बेबफाई कर गया|
जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ ,
जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ ,
टूट कर फिर से जुड़ना चाहता हूँ|
जिंदगी क्यू इतनी कठिन है
जिंदगी क्यू इतनी कठिन है
इसका जबाब चाहता हूँ ,
पूछता हूँ जब खुदा से बता इसका फ़साना क्या है ,
मुस्कुरा के बस इतना कहता ,
जिंदगी इक रास्ता है ,
डूंड ले अपने मुकाम को ,
रास्ते में तेरा मुकाम है ,
आज में फिर से चला हूँ
आज में फिर से खडा हूँ ,
जिंदगी के इस सफ़र में इक मुकाम चाहता हूँ|
निशान्त यादव...........
निशान्त यादव...........
No comments:
Post a Comment