चाँद दाग लेकर भी खामोश है, में बेदाग हूँ मगर बेचैन हूँ
खामोश चांदनी रात है
चाँद में ठंडक हैं ,
मगर आँखों से नींद खफा है ,
चाँद दाग लेकर भी खामोश है
में बेदाग हूँ मगर बेचैन हूँ
कल फिर से दिन आएगा ,
फिर से तपिश होगी ,
ठंडक होगी , मगर काम में व्यस्त होने की !
*निशांत यादव *
सुन्दर प्रयास |
ReplyDeleteNice
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