Friday, 23 May 2014

चाँद दाग लेकर भी खामोश है, में बेदाग हूँ मगर बेचैन हूँ

खामोश चांदनी रात है 
चाँद में ठंडक हैं ,
मगर आँखों से नींद खफा है ,
चाँद दाग लेकर भी खामोश है 
में बेदाग हूँ मगर बेचैन  हूँ 
कल फिर से दिन आएगा ,
फिर से तपिश होगी ,
ठंडक होगी , मगर काम में व्यस्त होने की !

*निशांत यादव *

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