अनगिनत तारो में ढूढ़ता हूँ तुझे
टूटते तारे से पूछता हूँ तुझे
अगर तू है तो दिख तो सही
देख तेरे बिन कितना अकेला हूँ में
पथराई आँखे तेरा अक्स मांगती हैं
झूट ही सही तेरा भरम मांगती है
में मजवूर हूँ मेरे पास सिर्फ आंसू हैं
मगर ये इनसे भी इनकार चाहती हैं
अगर तू है तो चमक तो सही
ये आँखे तेरा सबब मांगती हैं
(निशांत यादव )
टूटते तारे से पूछता हूँ तुझे
अगर तू है तो दिख तो सही
देख तेरे बिन कितना अकेला हूँ में
पथराई आँखे तेरा अक्स मांगती हैं
झूट ही सही तेरा भरम मांगती है
में मजवूर हूँ मेरे पास सिर्फ आंसू हैं
मगर ये इनसे भी इनकार चाहती हैं
अगर तू है तो चमक तो सही
ये आँखे तेरा सबब मांगती हैं
(निशांत यादव )
बहुत खूब। अति सुन्दर भाव हैं। :)
ReplyDeleteखूबसूरत पेशकश
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