मदर्स डे एक ऐसा दिन जिस दिन हर कोई अपनी माँ को कोई नायाव सा तोहफा देना चाहता है
आधुनिक विश्व में खास तौर से भारत में ऐसे तमाम दिवस जो किसी रिश्ते को समर्पित होते हैं का चलन बढ़ गया है चाहे मदर्स डे चाहे फादर्स डे , अधिकांश लोग इन खास दिनों में अपने खास रिश्तो को खास बनाना चाहते हैं
आधुनिक विश्व में खास तौर से भारत में ऐसे तमाम दिवस जो किसी रिश्ते को समर्पित होते हैं का चलन बढ़ गया है चाहे मदर्स डे चाहे फादर्स डे , अधिकांश लोग इन खास दिनों में अपने खास रिश्तो को खास बनाना चाहते हैं
दरअसल हुआ ये है की हम आज के व्यस्त जीवन में अपने रिश्तो को सहेजने का समय ही नहीं निकल पाते हैं हम अपने रोजमर्रा के कामो में इतने उलझे रहते हैं मानो की काम करने की कुम्भकर्णी नींद में सो गए हों ये खास दिन हमें अपनी इस नींद से जगाने का काम करते हैं लेकिन यहाँ एक सवाल खड़ा होता है कि हम एक दिन जागने के बाद फिर सो जाते हैं एक उस दिन के बाद फिर सब कुछ वहीं का वहीँ , हम फिर से उलझ जाते हैं उसी व्यस्त जीवन में |
अक्सर बेटे जब बड़े हो जाते हैं तो माता पिता से किनारा करने लगते हों छोटा बेटा सोचता हैं माँ को बड़े के पास भेज दूँ बड़ा सोचता है छोटे के पास भेज दूँ इसी इधर उधर में हम अपनी माँ को और उसके ह्रदय को छलनी करते रहते हैं
यहाँ मुझे मुनव्वर राना साहव की कुछ पक्तियां याद आती हैं
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई !
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई !!
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई !!
पुराणो और बुजुर्गो का कहना है माँ बच्चे की प्रथम गुरु होती है और ये सच भी है एक बालक अपनी माँ के जितने करीव होता है उतना शायद किसी के नहीं | जव घर में पिता जी से पैसे मांगने होते हैं तव हम अपनी माँ के जरिये ही पिता तक अपनी बात पहुँचाते हैं माँ के पास हमारे हर सवाल का जबाब होता है |
जव खाने में सब्जी काम होती है, तो माँ अपने बच्चो को वो सब्जी दे देती और खुद रूखी रोटी खा लेती है |
ऐसे न जाने कितने माँ के त्याग है हम अपनी माँ का कर्ज कभी नहीं उतार सकते
जव खाने में सब्जी काम होती है, तो माँ अपने बच्चो को वो सब्जी दे देती और खुद रूखी रोटी खा लेती है |
ऐसे न जाने कितने माँ के त्याग है हम अपनी माँ का कर्ज कभी नहीं उतार सकते
ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता !
मैं जब तक घर न लौटूं मेरी माँ सजदे में रहती है !!
मैं जब तक घर न लौटूं मेरी माँ सजदे में रहती है !!
कोई भी दुःख या संकट हो माँ खुद सब सहन कर जाती है | लेकिन अपने बच्चे पर कोई आंच नहीं आने
देती | माँ की दुआएं हमेशा हमारे सर पर साये की तरह रहती हैं
देती | माँ की दुआएं हमेशा हमारे सर पर साये की तरह रहती हैं
घेर लेने को मुझे जब भी बलाएं आ गईं !
ढाल बनकर सामने माँ की दुआएं आ गईं !!
ढाल बनकर सामने माँ की दुआएं आ गईं !!
जिंदगी में हर रिश्ते की अपनी एक अहमियत होती है लेकिन मेरी नज़र में माँ का रिश्ता सबसे बड़ा होता है और हमें इस रिश्ते की क़द्र और हिफाजत करनी चाहिए !
माँ के प्रभाव को कवि ओम व्यास जी ने कुछ इस तरह कहा है ......
बहुत रोते हैं मगर दामन नम नहीं होता !
इन आँखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता !!
में अपने दुश्मनो के बीच भी महफूज रहता हूँ !
मेरी माँ की दुआओं का खजाना कम नहीं होता !!
इन आँखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता !!
में अपने दुश्मनो के बीच भी महफूज रहता हूँ !
मेरी माँ की दुआओं का खजाना कम नहीं होता !!
मैं अपने इस लेख को अपनी और इस दुनियां की सभी माताओं के चरणो में समर्पित करता हूँ
#HappyMothersDay
(निशांत यादव )
#HappyMothersDay
(निशांत यादव )
बेहद उम्दा भाई :)
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