कोई शिकायत थी तो बताया होता , कोई शिकवा था तो कहा होता
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
में इंतजार करता रहा तुम्हारे मुड़ने का , काश तुम भी मुड़े होते ,
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
में जव भी अकेला होता तुम्हारी यादें मुझसे मिलने चली आती ,
काश तुम भी उनसे मिले होते ,
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
बिताये साथ पल जो हम तुम ने सहेज कर रखे है मेने , काश तुमने भी उन्हें सहेज कर रखा होता ,
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था ,
शब्द बहुत है पर अब लिखूंगा नहीं मैं , काश तुमने इन शब्दों को समझा होता
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था
तुमने हाथ कुछ ऐसे छुड़या मुझसे , जैसे तुमसे कोई रिश्ता ही न था
अब कभी लौट कर देखोगे तो दिखूँगा नहीं में , दर्द ऐ मुह्हबत को सहूँगा नहीं में ,
ये अंतिम बधाई तुम्हारे लिए है अब इसे कभी कहूँगा नहीं में
ये अंतिम बधाई तुम्हारे लिए है अब इसे कभी कहूँगा नहीं में
(निशांत यादव)
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