Thursday, 1 May 2014

अपने वास्ते इम्तहान

तुम लाख चाहे मेरी आफत में जान रखना 
पर अपने वास्ते भी कुछ इम्तहान रखना

वो शक्श काम का है दो ऐव भी है उस में 
इक सर उठा के जीना दूसरा मुहं में जुवान रखना

वदली सी लड़की से कुल शहर कफा है 
वो चाहती है पलकों पे आसमान रखना

केवल फकीरों को है ये कामयावी हासिल 
मस्ती में जीना और खुश सारा जहान रखना

.....निशान्त यादव ......

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