मेरा गाँव अब शहर हो गया है
अब ये मकानों का शहर हो गया है !
अब ये मकानों का शहर हो गया है !
ढूँढता हूँ जब कहीं सरसों के फूल खेतो में
लगता है कि जैसे कोई कहर हो गया है !
लगता है कि जैसे कोई कहर हो गया है !
ये सच है कि अब मेरा बैंक में खाता खुल गया है
मगर अब लाला की दुकान पर ये खाता बंद हो गया है !
मगर अब लाला की दुकान पर ये खाता बंद हो गया है !
अविरल बहती नदी अब नाला हो गया है
इसका पानी अब काला हो गया है !
इसका पानी अब काला हो गया है !
माँ के हाथो का वो सुबह का ताजा मट्ठा
अब मदर डेरी का छाछ हो गया !
अब मदर डेरी का छाछ हो गया !
बाबूजी का हुक्का अब होटल की रातो की शान हो गया है
कुएं का पानी अब बिसलरी की दुकान हो गया है !
कुएं का पानी अब बिसलरी की दुकान हो गया है !
वासमती चावल और घी की खुशबू ना जाने कहाँ गायब हो गई
इनकी पहचान अब १०० रूपये और ६०० रूपये हो गई !
इनकी पहचान अब १०० रूपये और ६०० रूपये हो गई !
बैंक में नोट और जेब में वोट तो है हमारी
पर अब भी इन खुशियों में खोट है हमारी!
पर अब भी इन खुशियों में खोट है हमारी!
हाँ ये सच है हमने प्रगति कमाई है
पर हमने प्रक्रति की गोद गबाई है !
पर हमने प्रक्रति की गोद गबाई है !
शब्दों में खुशी और दर्द दोनों है
क्या करें ये सर्द आखें दोनों है !
क्या करें ये सर्द आखें दोनों है !
हमने पाया है कुछ खो कर बहुत
हाँ ये सच है सबकुछ ! सबकुछ !
हाँ ये सच है सबकुछ ! सबकुछ !
......निशान्त यादव .........
Bahut he khoobsoorati se aapne apne mun ki baat keh daali..very nice nishant ji
ReplyDeleteधन्यबाद ! मेघा जी !
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