Sunday, 25 October 2015

तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो 

तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो 

तुम्हे उनकी कसम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो ।

ये माना मैं किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों मे

बुरा  क्या है अगर ये दुःख ये हैरानी  मुझे दे दो ।

मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्हे  कैसे सताती है 

कोई दिन के लिए अपनी निगेहबानी  मुझे दे दो ।

वो दिल जो  मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था  

बड़ी शै है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो ।

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 मई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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