तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो
तुम्हे उनकी कसम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो ।
ये माना मैं किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों मे
बुरा क्या है अगर ये दुःख ये हैरानी मुझे दे दो ।
मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्हे कैसे सताती है
कोई दिन के लिए अपनी निगेहबानी मुझे दे दो ।
वो दिल जो मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था
बड़ी शै है अगर उसकी पशेमानी मुझे दे दो ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 14 मई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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