Sunday, 26 April 2015

#NepalEarthquake


जब जब हमें इस पृथ्वी के शक्तिशाली जीव होने का दम्भ होता है ये प्रकृति अपने जोर दार चांटे से इस दम्भ को तोड़ देती है , हम बड़े गुमान से कहते है की हम आसमान को छु लेंगे , जमीं के अंदर घुस के ईमारत बनाएंगे , लेकिन प्रकृति आती है  और दो चांटे लगाती है हमारे होश कुछ देर के लिए ठिकाने आते है और हम फिर बही के बही , लेकिन क्या करें हम भी मजवूर है हमारी इक्षाओं का क्या वो तो हर दिन बढ़ती चली जाती है
शायद मानव होने का यही दंड है !!
अब यदि ईश्वर सुनते हो तो जो इस प्राकृतिक आपदा के शिकार  हुए लोगो के परिवारों को इस दुःख से लड़ने की शक्ति दे , हम दोषी है प्रकृति तुम्हारे !! 

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