Tuesday, 21 April 2015

एक साल का सफर ...

एक अप्रैल 2015 को मैंने अपने ब्लॉग "मेरे एहसासों का पन्ना" को लिखने की शुरुआत की थी , और पहली कविता लिखी थी  "मेरा गाँव अब शहर हो गया है" | ये कविता लिखने में और  इसके शब्दों को सहेजने में मुझे महीना भर लगा था कविता और कहानी की दुनिया में कदम तो बहुत पहले रख दिया था लेकिन इस सफर को मूर्त रूप देने का महूर्त एक अप्रैल को हुआ , धीरे धीरे कविता , कहानी , और बड़े शायरों , कविओं , कहानीकारों की रचनाएँ पढ़ कर हौसला बढ़ता गया , शब्दों के के बादल घुमड़ते गए और बरसते गए . शब्दों के बादल कभी भी घुमड़ते जाते है इनका कोई मौसम नहीं होता और कभी कभी ये रूठ भी जाते है लेकिन फिर से कोई हवा को झोका आता है और इन्हे मना कर ले आता है मेरी कविताओं में साहित्य की कसोटी के हिसाब है तमाम कमियां होती है कहीं लय नहीं होती तो कहीं छंद  और भी कमियाँ होती है इसके लिए साहित्य के पुरोधाओं से माफ़ी भी चाहता हूँ लेकिन मैं ह्रदय में उठने वाली पीड़ा , हर्ष , क्रोध और कभी हास्य को बस लिख देता हूँ उम्मीद करता हूँ त्रुटियाँ भी ठीक करना सीख ही लूंगा ,
आज अपने ब्लॉग  के 12,365 व्यू देख रहा था  इन्हे देख कर हौसला और बढ़ जाता है  इस हौसले को मैं शब्दों के रूठे हुए बादलो को भी दिखा देता हूँ ये मेरे और करीव आने लगते है धन्यवाद उन सब पाठको का जिन्हे मैं
जानता हूँ या नहीं , ये हौसला यूँ ही देते रहिये ....
आपके दिए हौसले से जल्द ही एक कहानी संग्रह किताब के रूप में लिख रहा हूँ जब पूरा होगा आपके सामने पेश करूँगा ,  आप सब हौसला देते रहिये इनमे बड़ी शक्ति  होती है

आपका
निशान्त यादव 

2 comments:

  1. बधाई।कहानी संग्रह का इंतज़ार रहेगा।

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